Friday, 29 December 2017

क्यों न बढ़ें महिला अपराध

क्यों न बढ़ें महिला अपराध...
वैसे तो महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के लिए बहुतेरे कारण नेता, अभिनेता, पुलिस अफसर, गिनाते ही रहते हैं और उस पर आए दिन लंबी चौड़ी बहस भी होती रहती है। महिलाओं के प्रति कुंठित होती मानसिकता के पीछे फैशन को ही बताया जाता है, लेकिन एक ओर कारण बहुत छोटा और लालच से भरा हुआ ज्यादा नजर आता है। शहर की सड़कों पर भटकने और अपने काम के कारण नजरें दौड़ाने की आदत के चलते मैंने पिछले कुछ सालों से शहर में एक बड़ा बदलाव देखा है। ये बदलाव है शहर के लगभग सभी मार्केटों में मौजूद होजयरी की दुकानों पर लगे बूतों पर। पहले इन बूतों पर नई डिजाइन के कपड़े ही शोकेस में लगे रहते थे। लेकिन अब इन पर महिलाओं के अंत:वस्त्र लगाकर उसे शोपीस के तौर पर दुकानों के बाहर टांगा जाता हैं। ये सड़क पर राह चलते हुए भी आराम से दिखते हैं। इन पर जिस तरह के महिलाओं के अंत:वस्त्र टंगे होते हैं वो किसी भी संस्कारी व्यक्ति को अपनी नजरें नीची करने पर मजबूर कर दे। नितांत निजी जीवन का हिस्से वाले इन कपड़ों की खुली नुमाइश शहर में की जाती है। जिस तरह से ये नुमाईश होती है वो पुरूषों को उतेजित करने वाली ज्यादा होती है। इन्हें सड़क पर निहारते चलने वाले मनचले, बाजार में खरीदारी करने वाली महिलाओं पर इन्हें देख फब्तियां कसते चलते हैं। इस हालात से एक महिला को गुजरते हुए, मैं खुद अपनी आंखों से देख चुका हूं। वो बजाजखाना चौक के पास की गली में कुछ सामान नजरें उठाकर देख रही थी उसी समय पास से गुजर रहे मनचलों ने उस पर एक बेहद गंदा कमेंट किया जो सार्वजनिक तौर पर लिखना मुनासिब नहीं है। खुद को गुनाहगार समझ आत्मकुंठित वो महिला तुरन्त गर्दन नीचे कर तेज कदमो से चली गई। कोई भी संस्कारी परिवार यदि इन दुकानों के सामने से गुजरे तो उसकी नजरें रसातल में धंसी होती है, क्योंकि वो अपने आप में खुद को उस राह को चुनने के लिए कोस रहा होता है। लेकिन इस मानसिक गंदगी को फैलाने वालों को रोकने के लिए कोई आगे नहीं आता है। वो लोग भी कहीं गायब हैं जिन्होने कभी एक अंडरवियर कंपनी के पोस्टर को इसलिए फाडा था क्योंकि उसमें महिला के घुटने दिखाए गए थे। संस्कृति और संस्कारों को खुद की धरोहर मानने वाले इंदौर शहर में महिलाएं सरेराह शर्मसार होती रहती है। लेकिन शहरवासी चुप बैठे हैं..शहर में छोटी-छोटी बातों पर धारा 144 लागू हो जाती है। कचरा फेंकने से लेकर थूंकने पर 500 रुपए का जुर्माना यहां लगता है। शराब के डिस्प्ले लगाना, गुटखा-पाउच के डिस्प्ले, लगाना यहां पर गैरकानूनी है, दुकानें सील हो जाती हैं। लेकिन शहर की 11 लाख आबादी (महिलाओं) को बेहद असहज करने के इस काम पर सब मौन रहते हैं। इंदौर में मौजूद 50 लाख आंखों में इसको लेकर कोई शरम मुझे नजर नहीं आती है.. आखिर क्यों कोई इसका विरोध क्यों नहीं करता?

   दीपक कुलमोदिया

No comments:

Post a Comment

ऐसी है हमारी राधा रानी प्रेम प्रतीमूर्ति

बरसाने में एक संत किशोरी जी का बहुत भजन करते थे और रोज ऊपर दर्शन करने जाते राधा रानी के महल में। बड़ी निष्ठा ,बड़ी श्रद्धा थी किशोरी ...